शेयर मार्केट में ट्रेडिंग होगी आसान

नई दिल्‍ली,  बाजार नियामक सेबी (Sebi) ने शेयर ब्रोकरों से फंड क्‍लीयरेंस और ग्राहकों की सुविधा के लिए उचित संख्या में बैंकों में चालू खाते (Bank Current Account) रखने को कहा। शेयर ब्रोकरों से होने वाली दिक्कतों के बारे में सेबी को सूचना मिलने के बाद यह स्पष्टीकरण आया है। उन्होंने नियामक से ब्रोकरों को यह निर्देश जारी करने का अनुरोध किया था कि कई बैंकों में चालू खाते रखे जाएं।

सेबी ने एक सर्कुलर में कहा, ‘‘यह स्पष्ट किया जाता है कि शेयर ब्रोकरों को निपटान उद्देश्यों (निपटान खाता) हेतु ग्राहक निधि (क्लाइंट खाता) रखने के लिए उचित संख्या में बैंकों (शेयर बाजारों / सेबी द्वारा समय-समय पर निर्धारित अधिकतम सीमा तक) में चालू खाते रखने चाहिए।’’यह जरूरी है कि ब्रोकर इन खातों का उपयोग निर्धारित उद्देश्य के लिए करें।

इसके साथ ही सेबी ने अधिक मतदान अधिकार वाले शेयर जारी करने से संबंधित नियमों में ढील दी है। इस कदम से आधुनिक प्रौद्योगिकी आधारित कंपनियों को मदद मिलेगी। सेबी ने कहा कि 1,000 करोड़ रुपये से अधिक नेटवर्थ वाले प्रवर्तकों के पास अपनी कंपनियों में अधिक मतदान का अधिकार हो सकता है। इसे मौजूदा 500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1,000 करोड़ रुपये किया गया है।

सेबी ने अधिसूचना में कहा कि अधिक मतदान अधिकार वाले शेयरधारकों का नेटवर्थ पंजीकृत मूल्यांककों द्वारा निर्धारित 1,000 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होगा। नियामक ने कहा कि अधिक मतदान अधिकार (सुपरियर वोटिंग राइट-एसआर) वाले शेयरधारक के व्यक्तिगत नेटवर्थ का निर्धारण करते समय अन्य सूचीबद्ध कंपनियों में उसके निवेश/हिस्सेदारी पर विचार किया जाएगा, लेकिन जारीकर्ता कंपनी में उसकी शेयरधारिता पर गौर नहीं किया जाएगा।

इसके अलावा एसआर शेयर जारी करने और विवरण पुस्तिका जमा करने के बीच न्यूनतम अंतर मौजूदा छह महीने से घटाकर तीन महीने कर दिया गया है। नियामक ने 2019 में विशेष रूप से प्रौद्योगिकी आधारित जारीकर्ता कंपनियों के लिए मतदान के अधिक अधिकार वाला ढांचा पेश किया था।

यह नियम शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने को इच्छुक कंपनी में कार्यकारी पद धारण करने वाले प्रवर्तकों / संस्थापकों को एसआर शेयर जारी करने की अनुमति देता है। मतदान के अधिक अधिकार वाले शेयर कंपनी के प्रवर्तक/संस्थापक को कंपनी के मतदान अधिकार, उसके निदेशक मंडल और कंपनी कार्यों पर नियंत्रण प्रदान करते हैं। यह नियम जबरिया अधिग्रहण से बचाव में भी प्रभावी हो सकता है।