बागवानी फसलों के बारे में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान ने खाद्यान्न पदार्थों के आने वाले संकट की ओर संकेत किया है। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार बागवानी उत्पादन लगभग 32.51 लाख टन कम हो सकता है। इनमें सर्वाधिक कमी प्याज आलू बैंगन समेत अन्य सब्जियों की होनी है। आलू-प्याज के दाम तो अभी से सिरदर्द बनने लगे हैं।
महंगाई पर प्रभावी नियंत्रण के लिए सरकार का सबसे ज्यादा जोर उत्पादन और भंडारण क्षमता बढ़ाने पर है। स्टॉक जितना बड़ा होगा, जमाखोरी उतनी ही कम होगी। अभी देश में उत्पादित अनाज के सिर्फ 47 प्रतिशत के भंडारण की ही सुविधा है। इसलिए पैक्स (प्राथमिक सहकारी समितियां) स्तर पर गोदाम बनाए जा रहे हैं। तैयारी तीन लाख गोदाम की है, जो विश्व की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत 511 पैक्सों का चयन किया गया है।
दरअसल, बागवानी फसलों के बारे में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान ने खाद्यान्न पदार्थों के आने वाले संकट की ओर संकेत किया है। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार बागवानी उत्पादन लगभग 32.51 लाख टन कम हो सकता है। इनमें सर्वाधिक कमी प्याज, आलू, बैंगन समेत अन्य सब्जियों की होनी है। आलू-प्याज के दाम तो अभी से सिरदर्द बनने लगे हैं। ऐसे में तात्कालिक उपायों पर फोकस के साथ स्थायी समाधान के रास्ते भी तलाशे जाने लगे हैं।
प्याज और दाल उपजाने में अभी महाराष्ट्र का दबदबा है और चावल-गेहूं में पंजाब-हरियाणा का। खेती भी सब जगह समान नहीं होती है, किंतु उपभोक्ता मंत्रालय का मानना है कि प्रारंभिक सफलता मिलने लगी है। प्याज की खेती में महाराष्ट्र का वर्चस्व टूटने लगा है। गुजरात और राजस्थान में इसकी खेती ने जोर पकड़ा है। दालों को भी इसी रास्ते पर लाने की तैयारी है। नए क्षेत्रों में दलहन की खेती की संभावना तलाशी जा रही है।
आलू पर भी बिहार-उत्तर प्रदेश का एकाधिकार नहीं रहा। उत्तराखंड और हिमाचल भी आगे आए हैं। मेघालय में भी आलू उगाया जा रहा है। उपभोक्ता सचिव निधि खरे ने कृषि मंत्रालय को सुझाव दिया है कि खाद्य पदार्थों के उत्पादन में मैदानी इलाके के अलावा पूर्वोत्तर पर भी फोकस बढ़ाना चाहिए। वैकल्पिक सब्जियों को बढ़ावा मिलना चाहिए, जिन्हें आसानी से कहीं भी उगाया जा सकता है। रांची के एक किसान ने एक वर्ष में सात लाख रुपये का कुम्हड़ा की सब्जी बेची। ऐसे कई अन्य विकल्प भी हो सकते हैं।
बागवानी फसलों के 32.51 लाख टन कम होने का अनुमान
चालू वर्ष के दूसरे अनुमान में बागवानी फसलों का उत्पादन 3522.30 लाख टन है, जो पिछली बार से लगभग 32.51 लाख टन कम है। इसी तरह प्याज 60 लाख टन और आलू का उत्पादन 34 लाख टन कम हो सकता है। दाल में अब तक किए गए प्रयासों से उत्पादन में 14.02 लाख टन की वृद्धि हुई है। फिर भी मांग बढ़ने के चलते आयात पर निर्भरता कम नहीं हुई है। सरकार ने अगले तीन वर्षों के दौरान दाल उत्पादन में पूरी तरह निर्भरता का लक्ष्य तय किया है। दलहन की फसल के लिए नए-नए क्षेत्र तलाशे जा रहे हैं।