रूस से सस्ता क्रूड खरीदता रहेगा भारत

नई दिल्ली। रूस से कच्चे तेल की खरीद को लेकर भारत सिर्फ अपने हितों के आधार पर फैसला करेगा। इसका सीधा सा मतलब यह है कि फरवरी, 2022 के बाद जिस रफ्तार से रूस से ज्यादा कच्चा तेल (Crude Oil) खरीदना शुरू किया है, वह रफ्तार आगे भी बरकरार रहेगी। ताजे आंकड़े बताते हैं कि फरवरी से मई, 2022 के दौरान भारत ने रूस से तकरीबन आठ गुणा ज्यादा क्रूड की खरीद की है। हालांकि इस बात की संभावना है कि रूस से क्रूड खरीद में 90 फीसद की कटौती का ऐलान कर चुके यूरोपीय संघ की देशों की तरफ से भारत पर दबाव बढ़ाया जाएगा लेकिन भारत सरकार की मंशा साफ दिख रही है कि वह फिलहाल अपने आर्थिक हितों को ही प्राथमिकता देगा। इस महीने के अंत में पीएम नरेन्द्र मोदी की जर्मनी समूह-7 देशों की बैठक में हिस्सा लेने के दौरान भी यह मुद्दा काफी प्रमुखता से भारत के सामने रखे जाने की संभावना है।

तेल कंपनियों के सूत्रों का कहना है कि सरकार की तरफ से उन पर कोई दबाव नहीं है कि कहां से क्रूड खरीदना है और कहां से नहीं। उन्हें बस एक निर्देश दिया गया है कि देश की हितों के मुताबिक उन्हें जहां से भी सस्ता क्रूड मिल रहा हो, वहां से वो खरीद करें। भारत जैसे देश के लिए यह बहुत ही जरूरी है क्योंकि क्रूड की कीमतों का उसकी इकोनॉमी पर बहुत ज्यादा असर होता है। अभी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 120-121 डॉलर प्रति बैरल के करीब है। जबकि भारत सरकार ने वर्ष 2022-23 के लिए अपने बजट का पूरा आकलन इस आधार पर किया है कि क्रूड की कीमतें 75 डॉलर प्रति बैरल रहेंगी। भारत अपनी जरूरत का 85 फीसद कच्चा तेल बाहर से खरीदता है। ऐसे में उसके लिए क्रूड की कीमतों में मिली डिस्काउंट का काफी मतलब होता है। माना जा रहा है कि रूस से क्रूड लेना भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार के मुकाबले 20-25 डॉलर प्रति बैरल सस्ता पड़ रहा है।

अंतरराष्ट्रीय कारोबार की डाटा रिलीज करने वाली एक एजेंसी ने कहा है कि भारत ने फरवरी, 2022 में रूस से 30 लाख बैरल क्रूड खरीदा था जो उसकी कुल खरीद का महज तीन फीसद था जो मई, 2022 में बढ़ कर 2.40 करोड़ बैरल हो गया है। यह भारत की तरफ से कुल क्रूड आयात का तकरीबन 20 फीसद है। मौजूदा महीने में इसमें और वृद्धि होने की संभावना है। भारत की तरह चीन भी रूस से बड़े पैमाने पर क्रूड खरीद रहा है। बांग्लादेश और श्रीलंका ने भारत से आग्रह किया है कि वह रूस से किस तरह से क्रूड खरीद रहा है, इस बारे में उन्हें भी जानकारी दें। पाकिस्तान सरकार ने भी कहा है कि वह भी रूस से सस्ता क्रूड खरीदने को तैयार हैं लेकिन प्रस्ताव रूस की तरफ से ही आना चाहिए। ये सारे देश अपने उपभोग के लिए आयातित कच्चे तेल पर निर्भर हैं और रूस से कम दर पर मिल रहे क्रूड को काफी उपयोगी मान रहे हैं।

बताते चलें कि यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद से ही अमेरिका और यूरोपीय देश भारत पर दबाव बना रहे हैं कि वह रूस से कोई ऊर्जा कारोबार नहीं करे। भारत का तर्क रहा है कि वह रूस से बहुत ही कम ऊर्जा उत्पाद खरीदता है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि भारत जितना तेल व गैस रूस से पूरे साल खरीदता है उतना यूरोपीय देश एक दोपहर में खरीदते हैं। अब यूरोपीय देशों ने फैसला किया है कि वे दिसंबर, 2022 तक रूस से 90 फीसद तक गैस व तेल की खरीद कर देंगे।