Economical News / आर्थिक समाचार (Mother India Magazine) महामारी से उपजी अनिश्चितताओं के बीच रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास का मानना था कि मौजूदा समय में आर्थिक वृद्धि में सुधार और स्थिरता पर ध्यान देते हुये नीतिगत समर्थन जारी रखना सबसे वांछित और विवेकपूर्ण विकल्प होगा। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के शुक्रवार को जारी विवरण के अनुसार दास ने मुद्रास्फीति आकांक्षाओं पर अंकुश लगाने के लिए कीमतों की स्थिति पर बारीकी से नजर रखने की जरूरत को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा, समय की जरूरत दो तरफा है: पहली, अर्थव्यवस्था को मौद्रिक नीति संबंधी समर्थन जारी जारी रखना और दूसरी, किसी भी टिकाऊ मुद्रास्फीति दबाव और प्रमुख घटकों में निरंतर मूल्य स्थिति पर नजर बनाये रखना ताकि तंत्र में बिना किसी बाधा के कुछ समय में ही खुदरा मुद्रास्फीति मुद्रास्फीति को वापस चार प्रतिशत पर लाया जा सके। इस महीने की शुरुआत में एमपीसी की तीन दिन की बैठक के बाद उसके सभी सदस्यों (शशांक भिड़े, आशिमा गोयल, जयंत आर वर्मा, मृदुल के सागर, माइकल देबब्रत पात्र और शक्तिकांत दास) ने सर्वसम्मति से नीतिगत दर रेपो को चार प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने पर अपना मत दिया था। इसके अलावा, वर्मा को छोड़कर, अन्य सदस्यों ने आने वाले समय में यह सुनिश्चित करते हुये कि मुद्रास्फीति तय लक्ष्य के दायरे में बनी रहे अर्थव्यवस्था पर कोविड- 19 के प्रभाव को कम करने और आर्थिक वृद्धि का पुनरूत्थान तथा उसे टिकाऊ बनाने के लिये जब तक जरूरी होगा मौद्रिक नीति में उदार रुख अपनाया जायेगा। बैठक के ब्योरे के मुताबिक वर्मा ने मौद्रिक नीति के इस हिस्से को लेकर अलग रुख रखा। उनका मानना है कि आर्थिक वृद्धि महामारी शुरू होने से पहले से ही संतोषजनक नहीं रही है। इसमें यदि कोविड- 19 के प्रभाव को काफी हद तक मान लिया जाये तो भी मौद्रिक नीति में व्यापक समायोजन की जरूरत है। वहीं आरबीआई के डिप्टी गवर्नर पात्रा ने कहा कि महामारी के दौरान व्याप्त अनिश्चितता को देखते हुये मौद्रिक नीति प्राधिकरण ने इस प्रतिबद्धता के साथ कुछ सुनिश्चितता जताने का प्रयास किया है कि भविष्य में उदार रुख बनाये रखा जायेगा।
रिजर्व बैंक गवर्नर का मुद्रास्फीति निगरानी के नीतिगत समर्थन पर रहा जोर
