त्योहारी सीजन में डबल इंजन से दौड़ रहा बाजार

ऑफलाइन बिजनेस जहां सामान्य हो गया है, वहीं ऑनलाइन वाला मॉडर्न रिटेल बिजनेस जबरदस्त ग्रोथ दिखा रहा है। दोनों के समन्वय से बाजार कोरोना की छाया से अब आजाद हो चला है…

कवेयर उद्योग में स्टोवक्राफ्ट की अब तक की यात्रा के मुख्य पड़ाव क्या रहे?
बंगलूरू में बर्तनों की साधारण दुकान से सफर शुरू हुआ था। कुछ अलग करने की चाह ने हमें गैस चूल्हा बनाने की दिशा में प्रेरित किया। फिर गैस कनेक्शनों के साथ कोब्रांडिंग के तहत चूल्हे बेचना शुरू किया। जल्द ही स्टोवक्राफ्ट देश में गैस कुकटॉप बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी बन गई। प्रेशर कुकर हमारा दूसरा प्रमुख उत्पाद बना। धीरे धीरे दक्षिण की कुकवेयर इंडस्ट्री में स्टोवक्राफ्ट पूरी तरह स्थापित हो गया।

आपने कोविड के दौर की चुनौतियों का जिक्र किया। वे चुनौतियां क्या थीं और स्टोवक्राफ्ट ने उनका सामना कैसे किया?
कुकवेयर और किचन अप्लायंस क्षेत्र के लिए कोविड काल का अनुभव अलग था। हमारे उत्पादों की मांग घटने की बजाय बढ़ गई थी। वर्क फ्रॉम होम का दौर था। औरतों के साथ मर्दों का ज्यादा समय रसोई में गुजर रहा था। लोग ऑनलाइन उत्पादों की मांग कर रहे थे। लेकिन, समस्या सप्लाई की थी। कोविड में उत्पादन जारी रखना और लागत कंट्रोल में रखना बड़ी चुनौती थी। प्लस पाइंट यह था कि हमारे अधिकांश पुर्जे हम खुद बनाते थे। ऑफलाइन बिजनेस चैनल ठप होना चुनौती थी, लेकिन ऑनलाइन चैनलों की बदौलत हम टिके रहे।

सस्ते इंटरनेट व ई-कॉमर्स ने स्टोवक्राफ्ट को उबारा
ऑनलाइन शॉपिंग न होती तो हमारा कारोबार पाताल में चला जाता। दुकानें, गोदाम, आउटलेट बंद थे। ऐसे में ऑनलाइन सेल वरदान बनी। अच्छी बात यह थी कि ऑनलाइन चैनलों पर स्टोवक्राफ्ट पहले से तैयार था। हमारा ई-कॉमर्स बिजनेस अनुपात इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा है।

कोरोना बाद आईपीओ का फैसला चौंकाने वाला था। इसके अनुभव कैसे रहे?
2010 में सेकुआ कैपिटल से हमें निवेश मिला था। कुछ वर्ष बाद उन्होंने पैसा निकाल लिया। लिहाजा 2018-19 के आसपास हमने पब्लिक इश्यू की योजना बनाई। लेकिन, कुछ गड़बड़ी से इश्यू टल गया। बाद में कोविड आ गया। कोविड के पहले दौर के बाद हमने फिर कमर कसी और मैदान में उतर गए। निवेशकों की अच्छी प्रतिक्रिया मिली।

लेकिन, कंपनी के शेयर का भाव अपने उच्चतम स्तर से काफी नीचे चल रहा है?
उसकी वजह है। कुकवेयर इंडस्ट्री का बिजनेस सीजनल होता है। पहली व आखिरी तिमाही हमारे बाजार में हल्की होती है। त्योहारी मांग दूसरी और तीसरी तिमाही में ही उभार पर आती है। यह सीजन ओणम से क्रिसमस-नववर्ष तक चलता है। इसलिए निवेशकों को सलाह यह है कि स्टोवक्राफ्ट या किसी और कुकवेयर कंपनी के संदर्भ में वार्षिक कामकाज पर फोकस करें। कंपनी का सालाना कारोबार अब 1100 करोड़ पार कर चुका है।