चौथी औद्योगिक क्रांति की तैयारी को बजट 2022 ने दिया बल

नई दिल्ली,  आम बजट 2022-23 में डिजिटल पर सबसे ज्यादा जोर दिया गया है। इकोनॉमी और समाजिक ढ़ांचे के सभी वर्गों को एक साथ डिजिटल धागे में पिरोने की घोषणाएं करके साफ कर दिया गया है कि चौथी औद्योगिक क्रांति में भारत पिछल्लगू बन कर नहीं रहने वाला है। माना जाता है कि औद्योगिक क्रांति की शुरुआत डिजिटल इकोनॉमी के तौर पर हो चुकी है और जो देश अपनी इकोनॉमी में डिजिटल तकनीक पर भरोसा करेगा, वह विकास करेगा। ये घोषणाएं वर्ष 2070 तक भारत को प्रदूषण रहित देश बनाने के लक्ष्य को हासिल करने में सबसे अहम योगदान देंगी। इसी लिहाज से मंगलवार को पेश हुए बजट में सरकार ने हेल्थ, एजुकेशन, ग्रामीण विकास, आवागमन, ईंधन, बैंकिंग जैसे सेक्टर को ज्यादा डिजिटल प्रधान बनाने की घोषणा की है।

पीएम नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2015 में डिजिटल इंडिया की शुरुआत की थी। बैंकिंग से लेकर सरकारी सुविधाओं को सीधे किसानों या गैस सब्सिडी सीधे उपभोक्ता के खाते में डालने जैसी सहूलियत इसी से संभव हो सकी हैं। अब जबकि देश की तकरीबन आधी आबादी के पास इंटरनेट वाला स्मार्ट फोन पहुंच चुका है तो सरकार की तरफ से बजट में की गई घोषणाएं डिजिटल इंडिया प्रोग्राम को और तेज करने का माद्दा रखती हैं। वनस्कोर एंड वनकार्ज कंपनी के सीईओ अनुराग सिन्हा का कहना है कि डिजिटल ढांचे पर फोकस करने से भारत विकसित देशों की कतार में खड़ा होने की क्षमता रखता है। हर सेक्टर में डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने से पूरे प्रशासनिक व्यवस्था को पारदर्शी बनाया जा सकता है।

मोतीलाल ओसवाल की स्टडी कहती है कि जितना ज्यादा डिजिटल इकोनॉमी पर फोकस होगा उतना ही ज्यादा सर्विस को आम जनता तक पहुंचाने में आसानी होगी। एमके ग्लोबल सर्विसेज के एमडी के. के. करवा का मानना है कि कृषि क्षेत्र में ड्रोन का उपयोग या जमीन से जुड़े कागजात को डिजिटल व्यवस्था के तहत शामिल करना बताता है कि भारत डिजिटल क्रांति के नए दौर में प्रवेश कर रहा है। तकनीक व डिजिटल व्यवस्था पर इस तरह की घोषणा भारत के ऊर्जा सेक्टर के बदलते स्वरूप के भी मुताबिक है।

बिजली मंत्री आर के सिंह ने बताया है कि सरकार की मंशा नई ऊर्जा में देश को एक निर्यातक के तौर पर स्थापित करने की है। सौर ऊर्जा से जुड़े क्षेत्र को लेकर की गई घोषणाएं इस संबंध में निर्णायक भूमिका निभाएंगी। आयातित सोलर मॉडयूल्स पर आयात शुल्क को 20 फीसद से बढ़ा कर 40 फीसद करने की घोषणा, इसी रणनीति का हिस्सा है। इसके साथ ही देश में सोलर ऊर्जा से जुड़े तमाम उपकरणों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए 19,500 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना का ऐलान किया है।

इनर्जी स्टोरेज को ढांचागत उद्योग का दर्जा देना भी बहुत असर करेगा। इससे बड़ी कंपनियों को सस्ते कर्ज मिलने का रास्ता साफ होगा। पहले ही अडाणी, रिलायंस जैसी कंपनियां इस सेक्टर में शोध व विकास पर भारी भरकम राशि खर्च करने का ऐलान कर चुकी हैं। सरकार की घोषणा नए तकनीक आधारित उद्यमियों को खास तौर पर सहूलियत प्रदान करेगी। दरअसल, यही कुछ सेक्टर अब वैश्विक स्तर पर राज करने वाले हैं और भारत इस दौड़ की अगली पंक्ति में रहना चाहता है।